दरोगा जी गोली देते हैं तो कोतवाल साहब पीड़ित को ही लाल आँख दिखाते हैं

दरोगा जी गोली देते हैं तो कोतवाल साहब पीड़ित को ही लाल आँख दिखाते हैं

  • भारतीय दंड संहिता 1860 की धारा 420 और 406 के आरोपियों पर देवबन्द पुलिस प्रशासन की मेहरबानियों की लिस्ट से (किस्त 02)
  • IGRS पोर्टल पर आरोपियों के पक्ष मे रिपोर्ट लगा कर पीड़ित को गोलियां देते रहे दरोगा जी
  • पीड़ित को अपना मामला माननीय न्यायलय मे लेकर जाने की हिदायत करना कौनसा निस्तारण है ? 

देवबंद। विदेश भेजने के नाम ठगी के मामले मे प्रकाशित पिछली किस्त मे हम आपको बता चुके हैं कि पीड़ित ने देवबंद पुलिस क्षेत्राधिकारी महोदय को दिए प्रार्थना पत्र मे क्या लिख कर दिया था अब बात करते हैं पीड़ित की ओर से की गई मुख्यमंत्री मंत्री पोर्टल प्रार्थना पत्र /IGRS सन्दर्भ संख्या 40013224019542 पर क्या कारवाई हुई। 

सीर्फ मदरसे के छात्र छुट्टियों पर जाते हैं अतिक्रमण कहीं नही जाता

लेकिन उससे पहले आपका ये जानना बेहद ज़रूरी है कि पिछली खबर के प्रकाशित होने के बाद देवबंद थाना प्रभारी से जब पीड़ित आरोपियों पर कार्रवाई की मांग करने के लिए पहुंचा तो कोतवाली निरिक्षक आरोपियों को पकड़ने के बजाये पीड़ित को ही लाल लाल आँखे दिखाने लग जाते हैं और खाकी के इक़बाल को बुलंद रखते हुए ख़बर के प्रकाशन को लेकर खरी खोटी सुना कर कानून का पाठ पढ़ाते हुए पीड़ित को चलता कर देते हैं। 

बीते 30 सालों मे सबसे ज्यादा ख़राब हालत, एक एक बाल्टी पानी भीक की तरह मांग रही जनता

बात कानून की है तो थोड़ा कानून की बात भी कर लेते हैं धारा 406 और 420 के बारे में संक्षिप्त मे समझ लेते हैं फ़िर मुख्यमंत्री पोर्टल पर आरोपियों का पक्ष लेने व पीड़ित का मोबाइल नंबर आरोपी के नाम के आगे लिखने पर भी आयेंगे 

धारा 406

यह धारा आपराधिक विश्वासघात (Criminal Breach of Trust) से संबंधित है, जिसमें किसी संपत्ति को विश्वास में लेकर उसे गलत तरीके से उपयोग करना या हानि पहुँचाना शामिल है जिसमें 3 साल तक की कैद, जुर्माना, या दोनों हो सकते हैं गंभीर मामलों में सजा बढ़ सकती है

यह एक संज्ञेय (Cognizable) और गैर-जमानती (Non-Bailable) अपराध है, जिसका मतलब है कि पुलिस इसकी जांच कर सकती है और गिरफ्तारी कर सकती है बिना वारंट। 

धारा 420

यह धारा धोखाधड़ी (Cheating) और किसी को धोखे से संपत्ति देने के लिए प्रेरित करने से संबंधित है जिसमें 7 साल तक की कैद, जुर्माना या दोनों

यह भी संज्ञेय और गैर-जमानती अपराध है, जिसके तहत पुलिस को बिना वारंट गिरफ्तारी का अधिकार है चूंकि धारा 406 और 420 संज्ञेय अपराध हैं, पुलिस को बिना वारंट के गिरफ्तारी का अधिकार है।

अब आते हैं गोली बाज़ प्रशासन की IGRS पोर्टल पर की गई शिकायत पर जी तोड़ लगन और मेहनत से जी हुई कार्रवाई पर थाना देवबंद की रेलवे पुलिस चौकी के दारोगा जी पीड़ित को चोकी पर बुलाकर पूरा मामला सुनते हैं ठगी के सारे साक्ष्यों प्रमाण लेते हैं और पीड़ित को आश्वासन देते हैं कि कल ही आरोपी को बुला कर तेरा मामला निपटवा दूंगा तुझे तेरे पेसे और पासपोर्ट मिल जाएगा क्युकी आरोपी सूफियान दरोगा जी की रेलवे चोकी के जस्ट बग़ल मे जो रहता है यानी रेलवे पुलिस चौकी का पड़ोसी भी है।

देवबंद के गोली बाज़ प्रशासन के झांसे से पीड़ित कहां आखिर कहां जाएं

लेकिन दारोगा जी पीड़ित को सुबह शाम फोन पर अगले कई दिनों तक गोलियां देते रहे कोर्ट का काम रक्षाबंधन का त्योहार और अन्य कामों मे व्यस्त होने की बात पीड़ित से करते रहे जिसके बाद पीड़ित को मुख्यमंत्री पोर्टल से फोन आता है और जानकारी दी जाती है कि आप के द्वारा की गई शिकायत पर रिपोर्ट लगाई गई है क्या आप उस से संतुष्ट हैं तो पीड़ित को पता चला कि दरोगा जी ने उसको झांसे मे रख कर आरोपियों के पक्ष मे रिपोर्ट लगा दी है। 

साप्ताहिक बाजार लगाने के बुहत से स्थान देवबंद मे मौजूद हैं

पीड़ित ने मुख्यमंत्री पोर्टल पर लगाई हुई रिपोर्ट को देखा तो पता चला कि सारे साक्ष्यों के होते हुए भी दरोगा जी ने रिपोर्ट मे आरोपी सूफियान ने जो बोला लिख कर रिपोर्ट लगा दी और आरोपियों के नंबर की जगह पर उल्टा पीड़ित का ही नंबर लिख दिया और आवेदक को न्यायालय मे लेकर जाने की हिदायत देकर दरोगा जी ने मुहर मार दी जब ये इस सब की जानकारी मुख्यमंत्री पोर्टल से आई हुई कॉल पर दी गई तो पीड़ित को एसएसपी ऑफ़िस सहारनपुर जाने के लिए कहा गया तो पीड़ित एसएसपी कार्यालय पर भी पहुंचा लेकिन एसएसपी सहाब के आदेशों की खिल्ली देवबंद के गोली बाज़ प्रशासन ने केसे उड़ा दी ये हम आपको अगली किस्त मे बताएंगे। 

शेष क्रमशः

रिपोर्ट - दीन








Please Select Embedded Mode To Show The Comment System.*

और नया पुराने