क्या हिन्दू संगठन कव्वाली के मंच के सामने करेंगे हनुमान चालीसा का पाठ
- धार्मिक मेले मे ज़हनी अय्याशी के मंच सजाना क्या उचित है इस पर विचार क्यूं नही करती मेला कमेटी
- देवबंद नगर के वरिष्ट पत्रकार के आव्हान पर क्या कव्वाली का मंच नही सजने देंगे हिन्दू संगठन के लोग
- बै-ग़ैरत मुसलमानों को मेले मे जाने से जब कोई बॉयकॉट नही रोक सकता तो कव्वाली मे जाने से कौनसी ताकत रोक सकती है
देवबंद। बीते बुधवार को हिन्दू संगठनों के लोगों ने रामलीला मैदान मे बच्चों के मामूली विवाद के बाद साप्ताहिक बाजार नही लगने दिया था और आगे भी चार सप्ताह बाजार नही लगने की बात कही गई है आने वाले सप्ताह बुद्ध बाजार लग पाएगा या नही इसकी सटीक जानकारी अभी प्राप्त नही हुई है।
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लेकिन बुद्ध बाजार नही लगने देने के बाद नगर के वरिष्ट पत्रकार सुधीर भारद्वाज द्वारा साहसी युवकों का उत्साहवर्धन किया गया था और माँ त्रिपुरी बाला सुन्दरी मंदिर से सटे मेला पंडाल मे कव्वाली और मुशायरा नही होने देने का आव्हान करते हुए लिखा था कि कव्वाली के सामने हनुमान चालीसा का पाठ किया जाना चाहिए और मुशायरे वाले दिन भगवान खाटूश्यामजी का कीर्तन होना चाहिए।
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मग़र बड़ा सवाल ये है कि क्या ये सब हो पाना मुमकिन है क्या हिन्दू संगठन के लोग वरिष्ट पत्रकार के आव्हान को अमली जामा पहना सकते हैं ये तो आप और हम आने वाले समय में ही जान पाएंगे मगर ये भी समझ से परे है कि धार्मिक मेले में ज़हनी अय्याशी के मंच सजाना क्या मेले की गरिमा को तार तार करने जेसा नही है इस पर विचार विमर्श होना चाहिए और मेला पंडाल मे सिर्फ़ संस्कृतिक कार्यक्रम को ही अनुमती मिलना चाहिए।
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मग़र सबसे ज्यादा अहम ये है कि मुस्लिम समुदाय की ओर से मेले के बॉयकॉट की चर्चा मात्र सोशल मीडिया तक ही सीमित रही ज़मी पर बॉयकॉट का कोई प्रभाव देखने को नही मिला मदरसों के छात्र हों या मुस्लिम महिलाएं या फ़िर देवबंद क्षेत्र के मुस्लिम नौजवान हर कोई मेले का भरपूर आनंद ले रहा है और सोशल मीडिया पर मेले के बॉयकॉट का मात्र प्रचार प्रसार हो रहा है।
रिपोर्ट - दीन रज़ा