देवबंद मे आवारा कुत्तों से परेशान क्षेत्रवासी : (किस्त 2)

देवबंद मे आवारा कुत्तों से परेशान क्षेत्रवासी : (किस्त 2)

  • आवारा कुत्तों की बढ़ी संख्या के मामले मे वन विभाग और नगर पालिका के बीच तालमेल ही नही है
  • समस्या के समाधान पर बात करने के बजाय लफ्फाजी कर मामले की गंभीरता को दरकिनार करने का हथकंडा कोई नया तो नही है 
  • आवारा कुत्तों की बढ़ी संख्या के बीच कुत्तों को मारने या बंधक बनाने की बात करने वाले जनप्रतिनिधी हैं या सर्कस के जोकर

देवबंद। आवारा कुत्तों की बढ़ती संख्या से परेशानीयों के बीच जनता को समस्या का समाधान मिले इस पर तो बात करने की हिम्मत हमारे जनप्रतिनिधियों ने नही जुटाई मग़र बयान बाज़ी करने मे तो सभी ने पीएचडी कर रक्खी है सुनने को मिला है कि देवबंद नगर पालिका ने इस मुद्दे पर चुप्पी तोड़ी है और तलवे चाटने वालों के मुह मे अपनी बात छोड़ दी है जिसका जनता के बीच प्रचार-प्रसार करने के निर्देश भी चाटुकारों को दिए गए होंगे। 

नगर पालिका की ओर से कहा गया है कुत्तों को मारा नही जा सकता है और ना बंधक बनाया जा सकता है ये जितना मूर्खतापूर्ण है उतना ही हास्यास्पद भी है अगर एसा है तो जनसँख्या नियंत्रण करने के कानून बनाने की बातेँ करने वालों को नगर पालिका देवबंद से कुछ सीखना चाहिए वहीँ नगर पालिका देवबंद को बताना चाहिए था कि नगर के हर वार्ड मे आवारा कुत्तों के लिए पोष्टिक आहार की व्यवस्था कब तक हो जाएगी।

आवारा कुत्तों से हो रही परेशानीयों के बीच जब नगर पालिका देवबंद को बताना चाहिए था कि कब कब नगर पालिका की ओर से आवारा कुत्तों के लिए टीका करण अभियान चलाया गया और आवारा कुत्तों की संख्या को नगर की जनसँख्या के बराबर होने से रोकने के लिए आवारा कुत्तों की नस बंदी अभियान कब चलाया गया था मगर ये सब नही बता कर बस लफ्फाजी ही जनता का नसीब बन कर रह गई है।

अब आपको जानना चाहिए कि इस समस्या का समाधान सिर्फ़ यही है कि आवारा कुत्तों का टीकाकरण किया जाए और संख्या पर काबु पाने के लिए नस बंदी अभियान जनहित मे चलाया जाए मगर विश्वसनीय सूत्रों की माने तो इस अभियान को चलाने के लिए नगर पालिका के पास पैसा ही उपलब्ध नहीं है पशु चिकित्सकों का कहना है कि एक कुत्ते की नस बंदी करने के लिए 2 हजार से अधिक का खर्च आता है।

अब अगर आप चाहें तो देवबंद के हर वार्ड मे आवारा कुत्तों के टीकाकरण और नसबंदी अभियान के लिए चंदा गुल्लक लगा कर चंदा कर आवारा कुत्तों की समस्या से निजात पाने की तरफ़ अपने कदमों को बढ़ा सकते हैं नहीं तो जल्द ही आवारा कुत्तों की जनसँख्या नगर वासियों की जनसंख्या के बराबर हो जाएगी वहीँ दिलचस्प यह भी है कि नगर पालिका पारिषद देवबंद के पास धार्मिक आयोजनों मे सिर्फ़ लाइटिंग पर खर्च करने के लिए लाखों रुपए हैं मगर नगर की मुख्य समस्या पर नगर पालिका देवबंद का ख़ज़ाना खाली है। शेष क्रमशः 

रिपोर्ट - दीन रज़ा 







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