नगर पालिका परिषद देवबंद के तत्वावधान में आयोजित होने वाले मेले को लेकर नगर मे चर्चाओं का बाजर गर्म
- मेला पंडाल मे आयोजित होने वाले कार्यक्रमों के लिए नगर पालिका लाखों रुपये देती है तो संयोजकों को चंदा किस लिए चाहिए ?
- मेले से पूर्व सस्ते टिकट की बातेँ बस बातें ही निकली वहीँ पहले दिन ही पार्किंग के लिए अधिक पेसे वसूलने की मीडिया मे खूब चर्चा रही
देवबंद। नगर पालिका पारिषद देवबंद के तत्वावधान मे आयोजित होने वाले वार्षिक मेले की चर्चा यूं तो बीते तीन महीने से लगातार हो रही और इन दिनों दिव्य और भव्य मेला चल रहा तो नगर मे मेले की चर्चा भी खूब हो रही है नगर पालिका देवबंद द्वारा पहली बार मेले के मैन बाजर मे पक्की सड़के बनाए जाने की लोग प्रशंसा कर रहे हैं।
वहीँ इस बार झूलों के टिकट के सस्ते कराने की चर्चा पूर्व मे खूब ज़ोर से हो रही थी मगर एसा सम्भव नही हो सका मेला आरंभ होते ही मीडिया के माध्यम से ख़बरें सामने आई और पार्किंग के लिए अधिक धनराशि वसूले जाने के आरोप लगे मग़र नगर पालिका देवबंद या मेला कमेटी ने इस पर कोई सफ़ाई नहीं दी है हो सकता है ये आरोप बस आरोप ही हों।
सबसे ज्यादा चर्चा मे रहने वाला विषय नगर पालिका परिषद देवबंद के तत्वावधान में मेला पंडाल में आयोजित होने वाले कार्यक्रम हैं कार्यक्रमों को कराने की जिम्मेदारी हर वर्ष की भांति इस वर्ष भी जनप्रतिनिधियों व नगर की सम्मानित हस्तीयों सहित मीडिया कर्मियों और नगर पालिका कर्मचारियों मिली है यानी संयोजक बनाया गया है।
बता दें कि मेला पंडाल सारी व्यस्था की जिम्मेदारी का सारा बोझ नगर पालिका देवबंद के ख़ज़ाने पर होता है इसके अतिरिक्त नगर पालिका देवबंद संयोजकों को लाखों रुपये देती है ताकि कार्यक्रमों को भव्य और क़ामयाब बनाया जा सके मगर होता इसका बिल्कुल उल्ट है कुछ कार्यक्रमों मे तो दर्शको की संख्या को उंगलियों पर गिना जा सकता है।
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नगर मे चर्चा है की जब मेला पंडाल की सारी व्यस्था नगर पालिका देवबंद देती है साथ ही कार्यक्रमों के लिए लाखों रुपये संयोजकों को देती है तो फिर संयोजकों को नगर से चंदा किस लिए चाहिए होता है क्षेत्र मे दिव्य और भव्य मेले का वकार कुछ चंदा जिवियों ने ख़ाक मे मिला दिया है लोगों मे चर्चा है कि धार्मिक मेले के नाम इस प्रकार से चंदा कर डकारने पर नगर पालिका को रोक लगानी चाहिए।
रिपोर्ट - दीन रज़ा