उर्दू दिवस के अवसर पर किया गया महफ़िल ए मुशायरे का आयोजन
- देवबंद उर्दू घर पर मुशायरे का उदघाटन जनाब सय्यद वजाहत शाह(कमल देवबंदी) ने फीता काट कर किया और उर्दू के मुस्तकबिल को लेकर अपने विचार पैश किए
- मुशायरे का आग़ाज़ मास्टर नूर देवबंदी की नात शरीफ़ से हुआ
देवबंद । उर्दू घर मुहल्ला बैरुन कोटला देवबंद में शायर तनवीर अजमल के मकान पर जहान ए अदब एकेडमी के तत्वावधान मे एक शानदार महफ़िल ए मुशायरे का आयोजन किया गया था जिसकी अध्यक्षता शमीम किरतपुरी ने की और मुशायरे का सफ़ल संचालन शायर तनवीर अजमल ने किया मुशायरे का उदघाटन सय्यद वजाहत शाह(कमल देवबंदी) ने फीता काट कर किया व शमा रोशन मुमताज़ अहमद नजम उस्मानी और ज़र्रार बैग ने संयुक्त रूप से की।
प्रो ग्राम पूरी आब ओ ताब के साथ देर रात तक जारी रहा जिसके कुछ अशआर पेश है ।
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शायर तनवीर अजमल ने पढ़ा कि
सर के स्याह बाल भी चांदी में ढल गये
हम इंतज़ार ए यार में कितना बदल गये
हर सिमत खुशबूए सी बिखर जाएगी मियां
में गुफ्तगू करूंगा जब उर्दू ज़बान में
शमीम किरतपुरी ने पढ़ा
तौहीन ए मुहब्बत है वादे से मुकर जाना
आग़ाज़ से पहले ही अंजाम से डर जाना
दिलशाद खुश्तर ने कहा
उस की बातों से रस टपकता है
जिस बशर की ज़बान है उर्दू
ज़की अंजुम सिद्दीकी ने अपने अंदाज मे कहा
दिल में लिए सब मक्कारी मिलता है
जो मिलता है इच्छा धारी मिलता है
जावेद आसी ने कहा
मिरे महबूब जब तू बोलता है
तिरी बातों में जादू बोलता है
वली वक़ास ने कहा
अमीर ए शहर की आंखों में चुभ रहा हूं मैं
ख़ता यह है कि मैं उस को खुदा नहीं कहता
डॉ काशिफ़ अख़्तर ने पढ़ा
हिज्र बदन पर तारी है
चलने की तैयारी है
सईद नहटोरी ने कहा
रिवायत नज़र ए जिद्दी हो रही है
सलीक़ेसे पुराने बेचते हैं
अब्दुल्ला राज़ ने यूं कहा कि
कभी रहते थे दोनों साथ मिलकर
मगर अब वो कहीं है मैं कहीं हूं
चांद देवबंदी ने पढ़ा
बनाया है उसे रब ने अजब फ़ौलाद मिट्टी से
हज़ारों मुश्किलों के वास्ते एक मर्द काफ़ी है
सुहेल आतिर ने कहा
इसी तरकीब से दोनों का मिलन मुमकिन था
उस की तस्वीर से तस्वीर मिला दी मैंने
मज़हर हसन मज़हर ने पढ़ा
कोई चारा ही नहीं चारा गर भी थक गये
ज़ख्म अपनों की महर बानी से गहरा हो गया
फैसल उस्मानी ने पढ़ा
शादी का दिन है तेरी आज तो नहाले
इस खुशी में तू इतना मशहूर भी हे मगरुर भी हे
सरवर उस्मानी ने कहा
कौन होता है तेरे ग़म में परेशां सर्वर
वो तो अपनी ही किसी बात पे रोया होगा
राशिद कमाल ने कहा
मेरा दिल मेरी जान है उर्दू
इतनी मीठी ज़बान है उर्दू
ज़ाहिद दिलबर ने पढ़ा
कोई पुरानी बात तो न उठाए
मीठी लगे जो सबको बात वो सुनाए
आज़म साबरी ने पढ़ा
लोग अक्सर यह बात करते हैं
कितना मग़रूर हो गया हूं मैं
मुशायरे मे इन के अलावा भी शायरों ने अपना कलाम पेश किया मुशायरे में ख़ास तौर से नदीम अहमद एडवोकेट, मुहम्मद इसरार,वजाहत अनवर,फैसल नुर, क़मरुल इस्लाम, सरवर साबरी، अली अहमद, सय्यद अफ़जाल,शौकत सलमानी,सदाकत अंसारी, अनवार हसीन,शाहिद अंसारी, सलीम , पप्पू ,आदि ने शिरकत की,अन्त जहान ए अदब के अध्यक्ष एवं संस्थापक शायर तनवीर अजमल ने सभी का शुक्रिया अदा किया।
रिपोर्ट - दीन रजा