आवारा कुत्तों से निजात दिलाने वाले ज्ञापन का क्या हुआ ?
देवबंद नगर के कब्रिस्तान आवारा कुत्तों के लिए सुरक्षित ठिकाना बनते जा रहे हैं जिसको गुज़रे लोगों के प्रति कुत्तों की वफ़ादारी समझा जा सकता है
- देवबंद नगर वासियों को खुद ही अपने जनप्रतिनिधियों को ग़ैरत का कफ़न भेंट कर देना चाहिए
देवबंद। बीते केई सालों से लगातार चर्चा का विषय बने रहने के बावजूद आवारा कुत्तों की समस्या हर बीते दिन के साथ विकराल रूप धारण कर रही है लेकिन आज तक कोई ठोस कदम उठाना तो दूर कोई ठोस योजना भी सामने नही आई हालांकि सभासदों का प्रतिनिधि मंडल नगर पालिका अध्यक्ष देवबंद को ज्ञापन सौंप कर आवारा कुत्तों से निजात दिलाने के लिए गुहार लगा चुका है।
लेकिन यहां बड़ा सवाल यह है कि नगर पालिका बोर्ड की बैठक में अपने लबों की चुप्पी नहीं तोड़ने वालों को ज्ञापन ज्ञापन खेलने की हिम्मत कहां से मिल जाती है जानकारों की मानें तो ये हिम्मत सोशल मीडिया से मिलती है क्युंकी ज्ञापन के फ़ोटो वीडियो वहीँ अपलोड कर नगर वासियों की सहानुभूति हासिल की जाती है और जनप्रतिनिधी होने के भ्रम को जिवित रखा जाता है।
आवारा कुत्तों की बढ़ी संख्या से अब देवबंद के कब्रिस्तान भी अछूते नही रहे जिस पता चलता है कि आज की पीठी अपने गुज़रे लोगों को फातिहा देने के लिए कितना समय निकाल पाती है इंसानों ने कब्रिस्तान का रुख करना तो छोड़ दिया मगर आवारा कुत्तों को इस से बड़ी राहत मिली है आसानी से कब्रों से लिपट कर गुजरे लोगों को याद कर रहे हैं इसमे आवारा कुत्तों की वफादारी भी खोजी जा सकती है।
देवबंद नगर मे किस बिरादरी के कब्रिस्तान मे कितने कुत्ते पाए जाते हैं इसकी गिनती कर पाना संभव नहीं है यूं भी देखना पड़ता है कि किसी बिरादरी के कब्रिस्तान की कुछ संख्या ऊपर नीचे हो गई तो भावनाएँ आहत हो सकती है बिरादरी मे रोष पनप सकता है तो इतना बड़ा रिस्क लिए बिना बस इतना बताना जरूरी समझता हूं कि अधिकतर कब्रिस्तानों की हालत एक जेसी है और हो भी क्यूँ ना जब जिंदा इंसान की कोई वैल्यू बाकी नहीं रही तो मुर्दों पर भला कोन ध्यान देगा।
जिन कब्रिस्तानों मे कभी सोलर लाइट स्ट्रीट लाइट लगाई गई थी अधिकतर या तो बंद पड़ी हैं या किन्ही कारणों से ख़राब हैं अधिकतर कब्रिस्तानों मे नगर पालिका देवबंद ने पानी का कनेक्शन नही दिया है मिट्टी देने के बाद घर आके हाथ धोना भी गलत नहीं है लेकिन मौजूदा हालात को देखते हुए देवबंद नगर वासियों को अपने चुने गए जनप्रतिनिधियों को उनकी गैरत के लिए कफ़न भेंट कर मिट्टी डाल देना चाहिए।
लेकिन इस से भी आवारा कुत्तों की बढ़ी संख्या में कोई कमी नही आएगी बीते दिनों मे लोगों ने आवारा कुत्तों से बचाव के लिए तरह-तरह के उपाय तलाश करने शुरू कर दिए हैं बहुत से घरों पर ख़ास प्रकार के लिक्विड की बोतलें जनता लटका रही है अधिक पेसे वालों ने घर मे कुत्ते ना घुस सकें इसके लिए जाली वाले गेट लगवाना भी शुरू कर दिया है मग़र नगर पालिका देवबंद ने आवारा कुत्तों की बढ़ती संख्या पर कोई भी काम नही करने की शायद कसम खाई हुई है।
रिपोर्ट - दीन रज़ा