क्या होली के त्यौहार पर देवबंद नगर मे विशेष सफ़ाई अभियान चलाने के लिए ज्ञापन दिया जा सकता है?

क्या होली के त्यौहार पर देवबंद नगर मे विशेष सफ़ाई अभियान चलाने के लिए ज्ञापन दिया जा सकता है? 

  • देवबंद नगर वासियों को कूड़े कचरे पर चलने को किया जा रहा मजबूर 
  • क्यूं नगर पालिका बोर्ड की बैठक मे डस्टबीन लगाने पर चर्चा नही करते सभासद
  • जीवन मे आनंद और उत्साह लाने का प्रतीक है होली का त्यौहार, आज बात हिरण्यकश्यप और प्रहलाद की

देवबंद। आने वाले 14 मार्च को देवबंद नगर सहित देश और दुनिया-भर मे होली का त्यौहार मनाया जाएगा जिसके लिए देश प्रदेश और क्षेत्रीय लोगों ने तैयारी शुरू कर दी हैं मगर देवबंद नगर मे चारों तरफ से बहने वाली विकास की नहरों मे भी देवबंद नगर को आज तक सफ़ाई व्यवस्था के नाम पर कचरे के ढ़ेर और मल-मूत्र की दुर्गंध ही नसीब हुई है। 

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उम्मीद जतायी जा सकती है कि आगामी होली के त्यौहार के मद्देनजर सभासदों का प्रतिनिधि मंडल ज्ञापन देकर इस और नगर पालिका देवबंद का ध्यान आकर्षित करने का प्रयास कर सकते हैं कि होली के त्यौहार के मद्देनजर पूरे नगर देवबंद मे सफ़ाई व्यवस्था को लेकर विशेष अभियान चलाया जाए और देवबंद नगर की हर गली को क्लीन गली मे बदल दिया जाए ताकि नगर वासियों को चंद दिन तो सफ़ाई का अह्सास कराया जा सके। 

होली का त्योहार बुराई पर अच्छाई की जीत सहित बहुत से उद्देश्यों को साथ लेकर आता है एकता और सौहार्द, होली का त्यौहार रंगों का त्यौहार है, जो जीवन में रंग और खुशियों को लाने का प्रतीक है होली का त्यौहार लोगों को एकजुट करने और सामाजिक सौहार्द को बढ़ावा देने का अवसर प्रदान करता है होली का त्यौहार संगीत और नृत्य के साथ मनाया जाता है, जो जीवन में आनंद और उत्साह को लाने का प्रतीक है। 

आवारा कुत्तों से निजात दिलाने वाले ज्ञापन का क्या हुआ ?

होली की उत्पत्ति प्राचीन पौराणिक कथाओं में वर्णित है सबसे प्रसिद्ध कथा हिरण्यकश्यप और प्रहलाद की है जो विष्णु पुराण में वर्णित है हिरण्यकश्यप एक शक्तिशाली असुर था, जिसने स्वर्ग और पृथ्वी पर अपना अधिकार स्थापित किया था वह इतना शक्तिशाली था कि उसने देवताओं को भी पराजित कर दिया था हिरण्यकश्यप का पुत्र प्रहलाद था जो विष्णु का भक्त था प्रहलाद की भक्ति से हिरण्यकश्यप क्रोधित हो गया और उसने प्रहलाद को मारने का प्रयास किया।

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हिरण्यकश्यप ने अपनी बहन होलिका को प्रहलाद को आग में जलाने के लिए कहा होलिका ने प्रहलाद को अपनी गोद में बैठाकर आग में कूद गई, लेकिन विष्णु की कृपा से प्रहलाद बच गया और होलिका आग में जल गई इस घटना को होलिका दहन के रूप में मनाया जाता है यह त्यौहार प्राचीन काल से ही चला आ रहा है और आज भी विश्वभर में मनाया जाता है।

रिपोर्ट - दीन रज़ा





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