मदनी मस्जिद या मस्जिद महल के असली वारिस कोन हैं.. पड़ताल

मदनी मस्जिद या मस्जिद महल के असली वारिस कोन हैं.. पड़ताल 

  • दो बिल्लियों की लड़ाई मे बन्दर की चालाकी आप सब को मालूम है मग़र यहां तो बिल्ली और बंदर का पता ही नहीं चल पाया है
  • मस्जिद महल या मदनी मस्जिद विवाद के पीछे करोडों की संपति एवं मासिक मिलने वाली धन राशि मुख्य कारण हैं क्या..? 

देवबंद-- बीते काफी समय से सबसे अधिक चर्चा का विषय बना मस्जिद महल या मदनी मस्जिद से आप सब बखूबी वाकिफ़ हैं मगर आज तक इस विवाद का समाधान नहीं हो पाया है जनता दो भाग मे अपनी राय बना चुकी है मग़र कभी किसी ने असली बात आपको नहीं बताई है। 

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अनेकों प्रयासों के बाद भी आज तक मस्जिद के गेट पर मस्जिद के नाम का पत्थर नहीं लग पाया है वो सारी घटनायें आपको याद तो हैं आपके सामने ही घटी हैं मगर अभी तक ये स्पष्ट नहीं हो सका है कि मस्जिद महल या मदनी मस्जिद के असल मे असली वारिस हैं कोन? और मस्जिद महल एंव मदनी मस्जिद विवाद अनेकों बार आपके सामने आ चुका है इसी की पड़ताल के लिए ये सब लिखना पड़ रहा है। 

मदनी मस्जिद और मस्जिद महल की लड़ाई बिल्कुल उन दो बिल्लियों के जेसी है जिनको एक रोटी टुकड़ा मिल जाता है बंटवारे के लिए दोनों एक बन्दर के पास जाती हैं बन्दर बारी बारी से रोटी का एक एक टुकड़ा दोनों ओर से तोड़ कर खालेता है अनेकों बार एसा ही करता है और अखिर मे दोनो बिल्लीयों को बस निराशा ही हाथ लगती है और उस रोटी के टुकड़े से दोनों बिल्लियां हाथ धो बैठती हैं। ग्राम साखन कलां के स्वास्थ्य उपेंद्र पर विशेष संचारी रोग नियंत्रण अभियान"के अंतर्गत भव्य रैली का आयोजन किया गया।

एसा ही कुछ मदनी मस्जिद और मस्जिद महल विवाद मे हुआ है असली बात दोनों पक्ष ही सार्वजनिक नहीं करना चाहते और वो है मस्जिद के असली वारिस कोन हैं? थोड़ा धर्य बनाये रखें अब जल्द ही आप ये भी जान जाएंगे। 

लेकिन चिंता का विषय तो ये है कि आज तक क्यूं मस्जिद के गेट पर मस्जिद का नाम लिखने के विवाद मे नाम नहीं लिखा जा सका है मदनी मस्जिद या मस्जिद महल लिखने से क्या मस्जिद मे नमाज़ीयों की संख्या मे कमी या बढ़ोतरी होगी कौनसा नाम लिखने से मस्जिद मे नमाज़ीयों के लिए अधिक सुविधा प्राप्त होंगी सारा नगर देवबंद जनता है। 

बाबजूद इसके इस पर कोई चर्चा नहीं होती है कि मस्जिद की करोडों की संपति और मस्जिद की मासिक इन्कम इस पर कोई बात जनता के बीच नहीं आती है ना कभी आज तक ये प्रयास किया गया है कि मस्जिद के असली वारिसों की तलाश की जाए मगर अभी आपके लिए इतना जानना ही काफी है कि मस्जिद के असल वारिस तो कोई और ही हैं और मस्जिद महल या मदनी मस्जिद ये आपको मात्र भ्रम मे रखने के लिए सारा सर्कस तय्यार किया गया था।

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मग़र यहां बड़ा सवाल यह है कि मस्जिद महल या मदनी मस्जिद विवाद के बीच अब मस्जिद पर असल वारिसों का नाम लिखा जाएगा या नहीं ये आने वाले समय में ही आप और हम जान सकते हैं तब ही हम उस पर कोई प्रतिक्रिया करेंगे मगर उस से पहले ही आप ये भी जान जान चुके होंगे कि मस्जिद के असली वारिस कोन हैं और अभी वो वारिस कहां पर हैं। शेष क्रमशः

रिपोर्ट - दीन रज़ा







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