बिजली चोरी करें धन्नासेठ कनेक्शन कटे ग़रीब का
- विद्युत आपूर्ति विभाग की सख्ती के चलते नगर के 61 परिवारों मे छाया अंधेरा
- विभाग मे बैठे अधिकारियों द्वारा कितने राजस्व का चूना लगाया जा रहा है इसकी जांच अखिर करे कोन...?
- जानकारों की माने तो सिर्फ़ मुफ़्त की चाय पीने के लिए दफ्तर के बाबु विभाग को लगा देते हैं लाखों रुपए का चूना..!
- ठेकेदारों की गुंडागर्दी और कारवाई के भय से विद्युत विभाग देवबन्द कब तक करेगा देवबंद नगरवासियों का उत्पीड़न..?
- 22 लाख 75 हजार 424 के बक़ायादार के घर पर अंधेरा करने का कौनसा शुभ मुहूर्त अनिल कुमार चौरसिया ने निकाला है जनता को बता सकते हैं
देवबंद-- ख़बर बीते शनिवार 23 सितम्बर की है कि देवबंद नगर मे विद्युत विभाग देवबंद द्वारा 61 बकायेदारों का बिजली का कनेक्शन काट कर उनके घरों मे अंधेरा कर दिया गया अनिल कुमार चौरसिया उपखंड अधिकारी देवबंद ने शनिवार 23 सितंबर को ही स्टाफ के साथ मीटिंग की थी।
जिसके चलते विद्युत विभाग देवबंद हरकत में आ गया और देवबंद नगर के 61 बकायादार विद्युत उपभोक्ताओं के कनेक्शन काटकर उनके घरों में अंधेरा कर दिया गया इसके साथ ही अभियान चलाकर 4.55 लाख सरकारी राजस्व की वसूली की गई।
मीडिया मे विद्युत विभाग देवबंद की इस कारवाई को प्रमुखता से दिखाया गया दिखाया भी जाना चाहिए अखिर सरकारी राजस्व की वसूली का मामला है लेकिन सवाल ये उठता है कि क्या कारवाई करने का अधिकार आम नागरिकों पर ही है नगर मे जो धन्नासेठ बिजली की चोरी धड़ल्ले से कर रहे हैं उन पर विभाग की नजर-ए-करम क्यूं है क्या वज़ह है कि नगर के धन्नासेठों के घर मे अंधेरा क्यों नहीं किया जा सकता और बड़ा सवाल यह कि उपभोक्ताओं के साथ विभाग का लाभार्थियों जेसे सलूक पर मीडिया के मुह मे दही क्यूं जमा है ये सवाल आप को पूछने का अधिकार शायद है ही नहीं।
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दिलचस्प ये भी है कि नगर के धन्नासेठों के हेवी लोड बिजली की चोरी होने और देवबंद नगर को बिजली चोरी मे नंबर 1 घोषित करने पर बिजली चोरी करने वालों और विद्युत विभाग देवबंद के अधिकारियों की मिली भगत पर मीडिया ने भी अपनी चुप्पी नहीं तोड़ी है।
नगर की जनता का विद्युत विभाग देवबंद द्वारा किए जा रहे उत्पीड़न की कहानी देवबंद नगर के हर वार्ड मे मोजूद है लोग को भय के माहौल मे धकेलने के लिए स्थानीय मीडिया का भी कम योगदान नहीं है जनता से इस मुद्दे पर अक्सर सुनने को मिला है कि जब पत्रकार ही कुछ नहीं बोलते तो आम आदमी किया ही मजाल है कि किसी विभाग पर उंगली उठा सके।
चिंता की बात ये भी है कि देवबंद नगर के लोगों के पास कोई किसान यूनियन भी नहीं है जो हर माह मासिक मीटिंग मे विद्युत आपूर्ति विभाग की लापरवाही और उत्पीड़न की शिकायत ज्ञापन के माध्यम से ही कर सके सच ये भी है कि हुआ तो अभी तक उस से भी कुछ नहीं मगर इतना जरूर है कि कहीं ना कहीं जनता का विभाग के प्रति आक्रोश ज्ञापन के माध्यम से कम हो जाता है मगर देवबंद नगर वासियों के पास ये सुविधा भी उपलब्ध नहीं है।
जब से देवबंद नगर को बिजली चोरी मे नंबर 1 होने का गौरव प्राप्त हुआ है तब से अब तक यही ख़बरें मिलती हैं कि विद्युत विभाग देवबंद की टीम ने काटे इतने कनेक्शन कार्यवाई से लगता है कि सारी बिजली की चोरी देवबन्द नगर की आम जनता ही कर रही है।
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किसी रेस्टोरेंट किसी संस्थान कोई फैक्ट्री नगर मे चल रहे बड़े बड़े बिजली उपकरणों के कारखाने धन्नासेठों के हेवी लोड उपकरण एवं टनों 2 की AC कितने नंबर एक कि बिजली से संचालित हैं और कितने फ़र्जी वैध दिए गए केबलों पर इस पर कोई कारवाई या कोई रिपोर्ट सामने नहीं आई है सामने आई है तो विद्युत विभाग देवबंद के ठेकेदारों की गुण्डागर्दी।
जिन 61 परिवारों को अँधेरे मे उस समय धकेल दिया गया जब डेंगू का डंक डबल वार कर रहा है बीमारियों के बढ़ते प्रकोप मे 61 परिवारों को अंधेरे मे धकेल दिया गया जिन उपभोक्ताओं के कनेक्शन काटे गए हैं उन के परिवारों मे उजाला हुआ है कि नहीं इसकी कोई जानकारी हमारे पास नहीं है लेकिन यहां आपको ये समझाना होगा कि उपभोक्ता होने और लाभार्थि होने मे बड़ा फर्क़ होता है आपको अपने उपभोक्ता होने के अधिकारों का उपयोग करना चाहिए।
नगर निवासी एक महिला ने हमारे निजी संवाददाता के साथ बात करते हुए जानकारी दी कि उसका पति दिहाड़ी मजदूरी करता है बीते समय काम नहीं लगने से जीविका जेसे तैसे चल रही है बिजली का बिल जो कि 12 हज़ार हो गया जमा नहीं किया तो विद्युत विभाग देवबंद की टीम ने घर पर वीडियो बनाई जैल भेजने का भय दिखाया और दो हजार लेकर चलते बने मग़र बिल मे एक रुपया भी कम नहीं हुआ तो पैसा जमा हुआ कहा किसके राजस्व मे गया बताने की जरूरत नहीं है और ये बताने वाली बात भी नहीं है जो बात पूरे नगर देवबंद को पहले से ही मालूम है वो हम क्यूं बता दें।
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ये भी किसी से ढका छुपा तो नहीं है कि नगर के धन्नासेठ 50 हजार की बिजली की चोरी कर 5 हज़ार भी विभागीय अधिकारियों को उनके द्वारा बनाए गए वैध तरीक़ों से दे दें तो ना कोई कनेक्शन काटे और ना कोई विडियो बनाए ना जैल जाने का कोई झंझट बस शर्त ये कि उपभोक्ता विभागीय अधिकारियों का बनना होगा सरकार का नहीं।
यहां बड़ा सवाल यह भी है कि देवबंद नगर को बिजली चोरी मे नंबर वन बनने के लिए विद्युत विभाग देवबंद के अधिकारियों की कितनी भूमिका रही है इस पर चर्चा क्यों नहीं होनी चाहिए? इसकी जांच क्यूं नहीं होनी चाहिए? अखिर देवबंद को नंबर वन पर लाने के लिए विद्युत विभाग देवबंद के अधिकारियों एवं कर्मचारियों के योगदान को जनता के सामने लाना चाहिए।
जाहिर है कि विद्युत विभाग देवबंद के अधिकारियों का योगदान जनता के सामने आयेगा तभी तो नगर की जनता विद्युत विभाग देवबंद के अधिकारियों को फूल मालाएं पहना कर बड़े बड़े मंच लगा कर सम्मानित कार्यक्रमों का आयोजन कर सम्मानित करेगी देवबंद नगर को किसी भी प्रकार से नंबर वन बनाने वाले सारे लोगों को बराबर सम्मान मिलना चाहिए इसमे भेद भाव क्यूं..?
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नगर के उपखंड विद्युत अधिकारी अनिल कुमार चौरसिया ने 23 सितम्बर को ही स्टाफ़ के साथ मीटिंग की थी अनिल कुमार चौरसिया को स्टाफ़ से ही पूछ लेना चाहिए था कि के उनके पास अवैध रूप से दिए गए बड़े बड़े केबलों की जानकारी है या नहीं।
तो पता चल जाता की अवैध रूप से डाले गए कैबलों पर धड़ल्ले से हेवी लोड ईस्तेमाल करा कर कौनसे सरकारी राजस्व को भरा जा रहा है साथ ही जनता को भी ये जानने का अवसर मिल जाता की इस राजस्व का द्वार किन किन की तिजोरियो मे खुलता है ये सब नगर की जनता जान जाए तो इस मे दिक्कत किया है बस ये बताना हमारा काम नहीं है लेकिन अगर सवाल सरकारी राजस्व की वसूली का है तो आला अधिकारियों को एक बार विद्युत विभाग देवबंद की जांच करा कर भी देख लेनी चाहिए।
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पता तो चले कि बिजली चोरी हो रही है या चोरी करायी जा रही है जहां तक सवाल चोरी होने का है तो कोई आम नागरिक तो बिजली के पोल पर चढ़ कर अपना तार नहीं लगा सकता है अगर आपने इतनी हिम्मत करते कोई देखा हो तो बात अलग मेंने तो किसी आम आदमी को बिजली के खंबे पर चढ़ते नहीं देखा और ये समझ से परे है कि हेवी कवर बिजली के तारों पर कटवा डालने से भी करंट मिल सकता है विज्ञान मे देवबंद ने इतनी तो तरक्की नहीं की है।
नगर के ही कुछ लोगों ने मुझ से ही सवाल किया था कि मीडिया से दो ही ख़बरें अधिक मिल रही हैं एक तो बकायेदारों के काटे कनेक्शन दूसरा जयका एक्सप्रेस मे कल कौनसी नई डिश बनने वाली है लेकिन जनता की जब कोई सुनता ही नहीं तो मैं ही जनता के सवालों का जवाब क्यूं दूं।
61 परिवारों को डिजिटल भारत मे अंधेरे मे डूबा देने वाले कीर्तिमान स्थापित करने वाले वसूली अभियान मे मुख्य रूप से जे ई विजय कुमार शर्मा जे ई शशिकांत पासवान मोहम्मद जीशान रिंकू कुमार संजय कुमार गोविंद कुमार आशीष मोहन सिंह वगैरह 2 शामिल रहे लेकिन सवाल है कि क्या ये विभागीय अधिकारी नगर के धन्नासेठों या कुछ तो भाजपाई नेता तक हैं जिन मे किसी किसी से तो लाखों की वसूली की जानी है उनके घर मे अंधेरा करने का कौनसा शुभ मुहूर्त निकाला है नगर की जनता को अवगत करा सकते हैं।
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धन्नासेठों की लिस्ट मे पहला नाम मेसर्स भारतीय का है जिन पर बिजली का 22 लाख 75 हजार 424 रुपया बकाया है एक और महोदय हैं रघुवीर दयाल 11 लाख 36 हजार 424 इनपर भी बक़ाया है मगर इनके घर मे अंधेरा नहीं किया गया है कौनसी मजबूरी विद्युत विभाग देवबंद को इनके घरों मे अंधेरा करने से रोक रही है आप बखूबी समझ सकते हैं।
धन्नासेठों की लिस्ट यूं तो बहुत लंबी है फ़िर भी आपको कुछ ही लोगों के नाम बता रहा हूं अनिल कुमार चौरसिया के साथ स्टाफ़ की मीटिंग मे हो सकता है स्टाफ़ ने उपखंड अधिकारी देवबंद को बकायेदारों की ठीक ठीक लिस्ट प्रस्तुत नहीं की वर्ना कोई विभागीय अधिकारी देश की जानता के उत्पीड़न करने की इजाजत मोदी और योगी राज मे तो नहीं दे सकता है।
एक मान्य तो देवबंद के खानकाह के हैं मेसर्स जिनका नाम है इनपर भी विद्युत विभाग देवबंद का 4 लाख 5 हज़ार 624 रुपए बक़ाया है उपखंड अधिकारी देवबंद द्वारा चलाए गए अभियान मे 61 परिवारों के घर मे अंधेरा कर 4 लाख 55 हजार की वसूली की इतना तो खानकाह के सिर्फ़ एक बक़ायादार पर बक़ाया है सिर्फ उस एक का कनेक्शन काट कर इतनी वसूली की जा सकती थी 61 परिवारों को डिजिटल भारत के अमृत काल मे अंधेरे मे डुबाने देने वाले अभियान की सफलता को मोदी जी को G20 के पटल पर सुनाना चाहिए इस से ही तो हम विश्वगुरु बनने के लिए दुनिया को एक दम फिट नज़र आयेंगे।
मगर इनका कनेक्शन करने का ख्याल उपखंड अधिकारी देवबंद को नहीं आया देवबंद के ही ज़ाकिर पर 1 लाख 7 हजार 44 रुपए बक़ाया है देवबंद के ही अशोक पर 1 लाख 21 हजार 547 रुपए बक़ाया हैं देवबंद के ही तस्लीम पुत्र जिंदा पर 1 लाख 6 हजार 528 रुपए बक़ाया है और ये लिस्ट बहुत लंबी है मग़र इनके घरों मे अंधेरा करने का उपखंड अधिकारी देवबंद का कोई इरादा मालूम नहीं पड़ता है कोई ख़ास मजबूरी भी हो सकती है। जारी....
दीन रज़ा
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