सहारनपुर में 157 डेंगू और 24 चिकनगुनिया के मरीज

डेंगू का डंक कर रहा डबल अटैक, जांच में 55 मरीज हुए दोबारा संक्रमित

सहारनपुर में 157 डेंगू और 24 चिकनगुनिया के मरीज

सहारनपुर में डेंगू और चिकनगुनिया का प्रकोप बढ़ता जा रहा है। डेंगू के 157 केस हो गए है, वहीं 24 चिकनगुनिया के। करीब 25 से ज्यादा मौतें भी हो चुकी है। जो सामने आई है। लेकिन सरकारी आंकड़ों में एक भी मौत दर्ज नहीं है।

खास बात है कि डेंगू रिपीट हो रहा है। यानी डबल अटैक। स्वास्थ्य विभाग की जांच में सामने आया है कि करीब 55 मरीज ऐसे सामने आए है, जिन्हें डेंगू ने डबल अटैक किया है। वहीं कुछ चिकित्सक इसे डेन-2 वायरस मान रहे हैं। हालांकि पुष्टि नहीं कर रहे हैं।

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डेंगू और चिकनगुनिया बुखार के अलावा एक अनजाना बुखार लोगों की जान पर बन गया है। कई लोगों की मौत अनजाने बुखार से हो गई है। लेकिन अभी तक इस अनजाने बुखार की पहचान नहीं हुई है और न ही कोई करने वाला है। हालांकि दबी आवाज में कुछ चिकित्सक इसे डेन-2 वायरस बता रहे हैं। लेकिन खुलकर बोलने को कोई तैयार नहीं है। ऐसे में सवाल उठता है। डेन-2 वायरस है क्या?

डाक्टरों के अनुसार, डेंगू मरीजों में तेज बुखार के साथ सीने में जकड़न, बीपी में कमी, सांस लेने में परेशानी, फेफड़ों में पानी या निमोनिया जैसे हालात पैदा हो जाते हैं। इसका कारण डेंगू का खतरनाक स्ट्रेन डेन-2 है, जिससे मरीजों के हृदय व फेफड़े प्रभावित हो रहे हैं।

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बच्चों में इसका दुष्प्रभाव ज्यादा दिख रहा है, हर सौ में करीब 8 डेंगू पीड़ित बच्चों में निमोनिया के लक्षण भी मिल रहे हैं। डेंगू में एक्यूट रेस्पिरेटरी डिस्ट्रेस सिंड्रोम यानी एआरडीएस की समस्या असामान्य घटना है। सामान्यत: डेंगू रोगियों में तेज बुखार, प्लेटलेट्स की कमी या कार्डियोवैस्कुलर शाक की समस्या होती है।

डेंगू के डेन-1 और डेन-3 स्ट्रेन वाले मरीजों में हल्के लक्षण होते हैं, वहीं डेन-2 गंभीर होता है। डेन-4 दक्षिण भारत के राज्यों में अधिक पाया जाता है। दिल्ली-एनसीआर में जो मरीज सामने आ रहे हैं, उनको बुखार, जोड़ों में दर्द, सिर में तेज दर्द, आंखों के नीचे दर्द, खुजली होती है। ये लक्षण काफी हद तक चिकनगुनिया जैसे ही होते हैं। डेन-2 स्ट्रेन में मरीज के नाक और मुंह से खून आने लगता है।

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डेंगू फीवर में मरीज के अलग- अलग स्टेज होती हैं। नॉर्मल स्टेज में फीवर तो बहुत ज्यादा होता है लेकिन मरीज एक हफ्ते में रिकवर हो जाता है। बीमारी के बहुत ज्यादा लक्षण नहीं होते हैं। क्रिटिकल स्टेज में प्लेटलेट्स कम होने लगता है। इस स्टेज को हेमरेजिक फीवर कहा जाता है। आमतौर पर फीवर कम हो जाता है, लेकिन फ्लूड निकलने से मरीज का ब्लड प्रेशर कम होने लगता है और मरीज शॉक में चला जाता है। इसलिए इसे शॉक सिंड्रोम भी कहा जाता है। रिकवरी स्टेज में ब्लड वेसेल्स में अचानक फ्लूड की मात्रा बढ़ने से हार्ट पर प्रेशर होने लगता है, जिसकी वजह से उन्हें रिकवरी स्टेज में भी दिक्कत होती है।

चिकित्सकों के अनुसार, हेमरेजिक बुखार होने पर मरीज की हालत बिगड़ जाती है। प्लेटलेट्स की कमी होने लगती है। मरीज के शरीर के अंदर और बाहर ब्लीडिंग होने का खतरा बढ़ जाता है। पेट दर्द के साथ ही नाक, मसूड़े से खून आने लगता है। साथ ही स्किन पर चकत्ते भी बन जाते हैं। इस तरह की स्थिति में डेंगू का डेन-2 स्ट्रेन काफी खतरनाक हो जाता है। मरीज शॉक सिंड्रोम की स्थिति में चला जाता है और ब्लड प्रेशर कम होने लगता है।

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डेंगू का वायरस मूलरूप से 4 तरह का होता है। डेन-1, डेन-2, डेन-3 और डेन-4 सेरोटाइप। डेन-1 और डेन-3 सेरोटाइप का डेंगू, डेन-2 सेरोटाइप और डेन-4 सेरोटाइप के मुकाबले कम खतरनाक होता है। इस साल डेन-2 ही ज्यादा देखने की संभावना दिखाई दे रही है।






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