अमीरूल हिन्द के शहर मे 24 घंटे मे हट गया i love Muhammad का बैनर

अमीरूल हिन्द के शहर मे 24 घंटे मे हट गया i love Muhammad का बैनर

  • ना कोई निंदनीय ब्यान, ना कोई सत्याग्रह, कुर्ते खूँटी पर
  • सोशल मीडिया पर i love Muhammad लिखी DP लगा कर क्य़ा हासिल करना चाहते हैं मुस्लमान ?
  • i love Muhammad लिखने वाले उनके द्वारा दी गई तालीम से क्यूं कोसों दूर हैं ?

देवबंद । देश और प्रदेश में इन दिनों सबसे ज्यादा विवादित मुद्दा i love you के साइन बोर्ड या बैनर हैं FIR की दहशत है और कुछ युवाओं मे हमेशा की तरह वक़्ती उबाल भी है लेकिन इस सब के बीच जो सबसे ज्यादा चौकाने वाला है वो है मुस्लिम समुदाय के लीडरों का रवैया ।

23 सितंबर की सुबह मस्जिद रशीद दारूल उलूम पर एक बैनर लगा दिखा जिस पर सिर्फ़ i love Muhammad लिखा हुआ था दिन मे नगर के कुछ लोगों ने इस बैनर के साथ सोशल मीडिया पर फ़ोटो और डालनी शुरू की तो खुफ़िया विभाग सक्रिय हो गया और रात से सुबह तक जो हुआ उसका नतीज़ा ये निकला कि 24 सितंबर की सुबह बैनर दूरबीन से भी नज़र नही आया ।

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अमीरूल हिन्द के शहर मे 24 घन्टे के भीतर हटा ये बैनर क्षेत्र मे चर्चा का विषय तब ज़्यादा बना जब क्षेत्र के लोग अगले दिन सेल्फी और रील बनाने दारूल चौक पर पहुंचे और बैनर ग़ायब मिला चर्चा के केन्द्र मे सबसे पहले जनता अपने लीडरों की तरफ़ देख कर मायूस इस लिए हो जाती है कि कुर्ते तो खूँटी पर टंगा दिए गए हैं लेकिन वहीँ अमीरूल हिन्द के शहर i love Muhammad लिखे बैनर पर जमीयत के कोई से भी गुट ने ना तो देवबंद और ना दिल्ली से मीडिया के माध्यम से भी कोई प्रतिक्रिया नही दी है ।

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लेकिन बड़ा सवाल ये है मुस्लिम समुदाय अपने सोशल मीडिया की DP बदल कर या ट्रेंड चला कर बैनर ,या बोर्ड लगा कर किया हासिल करना चाहते हैं i love Muhammad का असली मतलब उनके दिखाए गए रस्ते पर चलने मे है जिस से मुस्लिम समुदाय कोसों दूर है सफ़ाई को आधा ईमान मानने वाली कौम के मुहल्ले बताते हैं कि लोग कितना मुहम्मद की तालीम को अपनाए हुए हैं ।

इस शहरे आबरू के सुखनवर डाॅ नवाज़ देवबंदी के लिखी ये शायरी उनके लिए है जिनको लगता है कि i love Muhammad की DP लगाने से या बैनर पोस्टर , लगाने से ईमान मे इज़ाफ़ा होगा 

फिर आगे ए दिल है काम उनका । 

तू पहले दामन तो थाम उनका । 

वो होजे कौसर के साक़िया हैं ।

सुराही उनकी है जाम उनका ।

दुरूद पढ़िए , सलाम पढ़िए ।

जहां भी आ जाए नाम उनका ।

रिपोर्ट - दीन रज़ा

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