मौत की डोर चाइनीज मांझा, चाइनीज मांझा आमजन के लिए खतरे की घंटी

मौत की डोर चाइनीज मांझा, चाइनीज मांझा आमजन के लिए खतरे की घंटी

  • क्यूं भारतीय की पसंद हैं चाइनीज प्रोडक्ट, चीन से मंगवाया गया एक भी सामान अर्थव्यवस्था में धीमा जहर, चाइनीज मांझा उनमें से एक सस्ते के चक्कर में चीनी मांझा ज्यादा बिकने लगा है।
  • क्या छोटे दुकानदारों को पर कारवाई समस्या का समाधान है ? लॉकडाउन मे उड़ने वाले प्रशासन के ड्रोन कैमरे कहां गए ? 

देवबंद। हर साल 14-15 जनवरी को मकर संक्रांति का पर्व मनाया जाता है इस दिन पतंग उड़ाने की परंपरा है आसमान पर उड़ती रंग-बिरगी पतंगें जहां खुशियां देती हैं वही, इस पतंग की डोर किसी की मौत की वजह भी बन जाती है हर साल मकर संक्रांति के आस-पास चाइनीज मांझे से मौत की घटनाएं सामने आती हैं प्रशासन की सख्ती के बावजूद प्रतिबंधित चाइनीज मांझे का इस्तेमाल जारी है।

पतंग उड़ाने के लिए ज्यादातर चाइनीज मांझे का इस्तेमाल होने लगा है ये प्लास्टिक और धातु के मिश्रण से बना होता है चाइनीज मांझा सामान्य मांझे की तुलना में काफी धारदार होता है ये इलेक्ट्रिक कंडक्टर होता है जिसका मतलब ये है कि चाइनीज मांझे में करंट आने का खतरा रहता है ये मांझा आसानी से टूटता भी नहीं है यही कारण है कि इसमें फंसने के बाद कई पक्षी और इंसानों की मौत तक हो जाती है करीब दशक भर पहले तक चाइनीज मांझा नेपाल के रास्ते भारतीय बाजार में आता था उसपर प्रतिबंध तो लग गया लेकिन शहर-शहर इसकी फैक्ट्री खुल गई।

चाइनीज मांझे को कुछ लोग प्लास्टिक का मांझा भी कहते हैं चाइनीज मांझा दूसरे मांझों की तरह धागों से तैयार नहीं किया जाता इसे नायलॉन और मैटेलिक पाउडर से बनाया जाता है इसमें एल्युमिनियम ऑक्साइड और लेड मिलाया जाता है इसके बाद इस मांझे पर कांच या लोहे के चूरे से धार भी लगाई जाती है जिस वजह से ये मांझा और भी घातक हो जाता है ये मांझा प्लास्टिक की तरह लगता है और स्ट्रेचेबल होता है जब हम इस मांझे को खींचते हैं तो ये टूटने की बजाय और बड़ा हो जाता है जब इस मांझे से पतंग उड़ाई जाती है तो इसमें कुछ अलग कंपन पैदा होता है। 

चाइनीज मांझा पर सरकार ने प्रतिबंध लगाया है इसे खरीदने और बेचने वालों पर पर्यावरण संरक्षण अधिनियम 1986 की धारा 15 के तहत 5 साल तक की सजा और 1 लाख रुपये तक का जुर्माना हो सकता है भारतीय न्याय संहिता की धारा 188 के तहत 6 महीने तक की सजा या जुर्माना हो सकता है पशु क्रूरता निवारण अधिनियम, 1960 की धारा 11 के तहत 50,000 रुपये तक का जुर्माना और 5 साल की सजा का प्रावधान है. जिला प्रशासन और पुलिस चीनी मांझा बेचने वालों पर छापेमारी करती है. पकड़े जाने पर तुरंत गिरफ्तार भी किया जा सकता है. इसके बाद भी चाइनीज मांझे का इस्तेमाल जारी है।

अक्सर देखा गया है की चीन में निर्मित मांझे की धार तेज करने के लिए कुछ घातक केमिकल का प्रयोग होता है जबकि पहले देश में मांझा बनाने के लिए अरारोट आदि का उपयोग होता था जो चीन के मांझे की तरह जानलेवा नहीं होते थे, लेकिन सस्ते के चक्कर में चीनी मांझा ज्यादा बिकने लगा है।

प्रतिबंध भी कारगर नहीं हैं इनका पालन कराने के लिए ठोस कदम नहीं उठाए जा रहे हैं और न ही कभी व्यापारी पतंग व पतंगबाजी का सामान बेचने वालों से सरकारी विभागों ने इस विषय में कोई सलाह मशवरा करने की जरूरत समझी है। इस दृष्टि से यह आवश्यक है कि चीनी मांझे का प्रयोग क्षेत्र मे कतई न हो यह सुनिश्चित करने के लिए सरकार को अविलंब व्यापारियों से बातचीत कर प्रतिबंध को ठोस तरीके से लागू किया जाना चाहिए।

वहीं, व्यापारियों को भी चीनी डोर अथवा मांझे को न बेचने के प्रति संकल्पित होना पड़ेगा। अगर कोई बेचता है तो उसकी सूचना पुलिस को देनी चाहिए। जो लोग सस्ते में पतंगबाजी का शौक पूरा करने के लिए इसे खरीदते हैं, उन्हें भी जागरूक करना होगा। इसके लिए कारोबारी संगठनों को आगे आना होगा।

यहां यह भी देखने की आवश्यकता है कि क्या चीनी मांझे के आयात को रोकने के लिए कहीं कानून में कोई कमी तो नहीं है अगर ऐसा है तो पतंग के व्यापारियों से चर्चा कर सहमति बनाते हुए कानून को कठोर बनाना चाहिए चीन से केवल वो ही सामान आयात हों जो भारत में बन नहीं रहे हैं जो सामान हमारे देश में बन रहे हैं उनके आयात पर प्रतिबंध लगाना चाहिए।

चीन से मंगवाया गया एक भी सामान देश के व्यापार और अर्थव्यवस्था के लिए धीमे जहर का काम करता है यही हाल चीनी मांझे को लेकर भी है मांझे का उत्पादन कुटीर उद्योग के तौर पर होता था कई घरों में इसे तैयार किया जाता था इससे काफी लोगों को रोजगार मिला हुआ था चीनी मांझे के बढ़ते प्रचलन से मृत प्राय हो गया है ऊपर से चाइनीज मांझा तो लोगों की जान भी ले रहा है।

इस मामले में यह समझने की आवश्यकता है कि चीन किसी न किसी बहाने से अपने उत्पाद भारत के बाजार में लादने के लिए कोई भी कोर कसर नहीं छोड़ता है, ऐसे में न केवल सरकार बल्कि व्यापारियों को भी सजग रहना होगा देश से ऊपर कुछ नहीं हो सकता है और इसलिए चीनी मांझे पर तुरंत कठोर प्रतिबंध न केवल लगाया जाए बल्कि उसका सख्ती से पालन भी करवाया जाना चाहिए।

रिपोर्ट - दीन रज़ा






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